"अजन्मा भ्रूण" _ कन्या भ्रूण हत्या _ एहसास 2016
संयोग प्रकाशन घर शाहदरा द्वारा प्रकाशित।
वर्ष 2016 जनवरी।
कृप्या फॉलो किजिए _ 🙏🙏🌻🌻🌻
💦 अजन्मा भ्रूण
क्या इसे समाज में लड़की होना एक पाप है।
उसका जन्म लेना क्या आज भी एक अभिशाप है।।
क्यों आज का इंसान प्रकृति को बदलना चाहता है।
एक लड़की को मां की कोख में दफनाना चाहता है।।
जीने की ख्वाहिश सब में होती है।
सुख से रहने की चाह, सब में होती है।।
फिर क्यों मुझे यह हक नहीं मिल पाया।
जन्म से पहले ही क्यों मेरा नामो-निशान मिटाया।।
कौन हूं मैं क्या यह जानते हैं आप।
मैं एकजन्मा भ्रूण हो, क्या मुझे पहचानते हैं आप।।
मौत से पहले कुछ आवाजें सुनाई देती थी।
सब कहते थे नहीं हो सकती इस कोख में कोई बेटी।।
पर कुछ अपनों को मुझ पर शक होता था।
वो समझते थे कि मैं हूं एक बेटी।।
उनको अनजाना डर सताए जाता।
न जाने क्यों उन्हे खून का घुट पिलाए जाता।।
पर मेरी समझ में यह नहीं आ पाया
क्या है बेटा और क्या है बेटी।।
इस बात से मैं अनजान थी।
शायद कुछ परेशान थी।।
हां यह सच है कि मैं एक भ्रूण ही थी।
और मुझ में भी जान थी।।
शुरू में तो खुशी का संगीत सुनाई देता था।
हर कोई खुश है,
ऐसा ही एहसास हुआ करता था।।
अब उस खुशी को जंग में बदलते देखा।
अब उस खुशी को शक में बदलते देखा।।
मैं तो ना जान पाई, पर सब जानना चाहते थे।
मैं तो ना समझ पाई, पर सब समझना चाहते थे।।
क्या है मेरी मां की कोख के अंदर, इस बात का पता लगाना चाहते थे।।।
अक्सर मुझे ख्याल सताता था।
इन सब से जरूर कुछ गहरा नाता था।।
क्यों वो लोग जानना चाहते हैं मुझे।
शायद वो लोग अपनाना चाहते हैं मुझे।।
एक दिन एक अजीब सा एहसास हुआ।
जानकर मेरा मन कुछ परेशान हुआ।।
अगर मैं एक बेटी हुई तो मुझे मार डालेंगे।
लेकिन मैं हुआ जो बेटा तो जरूर पालेंगे।।
यह सुनते ही मैं कांप गई।
मौत से पहले ही मैं मौत को भांप गई।।
उन लोगों ने मेरी मां को कुछ समझाया।
सब ठीक ही है ऐसा उसे बतलाया।।
मेरा परीक्षण करवाने में हर्ज क्या है।
नई टेक्नोलॉजी को अपनाने में हर्ज क्या है।।
उन्होने मेरी मां को भूर्ण परीक्षण करवाने के लिए मना लिया।
ना जाने क्यों खून का घूंट मुझे पिला दिया।।
अब हर समय लगता था कि जिंदगी के दिन कम ही है।
उन लोगों का शक सही निकला, तो मौत का दिन नजदीक ही है।।
अब उस दिन का इंतजार रहता था।
जब होने वाला मेरा परीक्षण था।।
फिर एक दिन एक अनहोनी हो गई।
मेरी मां मुझे डॉक्टर के पास ले गई।।
डॉक्टर ने अपना रोब दिखलाया।
भ्रूण परीक्षण को एक अपराध बतलाया।।
फिर मेरे अपनो ने डॉक्टर को पैसा दिखलाया।
इस प्रकार से उन्होने डॉक्टर को मनाया।।
अब तो डाक्टर भी था तैयार।
उठा लिए थे उसने अपने औजार।।
उसने किया भ्रूण परीक्षण और अब वह जानता था।
क्या है मेरी मां की कोख के अंदर, वह मुझे पहचानता था।।
उसने बता दिया सब को।
इस बात से नहीं वो अनजान था।।
उसकी बाद सुनकर सब चुप हो गए।
मै हु एक लड़की, यह जानकर शायद कहीं खो गए।।
कुछ देर बाद, उन लोगों को होश आया।
फिर एक बात को उन्होंने डॉक्टर को बतलाया।।
डाक्टर महोदय बोले, चिंता करने की कोई बात नहीं।
वह मुझे ठिकाने लगा देगा, इस बात से उसे कोई एतराज नहीं।।
अब उसने मेरी मां को कुछ समझाया।
और अपने ओजारो को कुछ इस तरह से उठाया।
मैंने यह बात जान ली।
जिंदगी खत्म होने वाली है,
यह बात मान ली।।
उन सबकी इस हरकत से,
मैं इस कदर डर गई।
उन सब के मारने से पहले ही,
शायद मैं मर गई।।
हां अभी मैं एक भ्रूण हो थी।
या यूं कहें एक लड़की जो भ्रूण थी।।
पर इतना तो मैं समझ गई थी।।।
होते थे खुश जो मेरे आने पर।
उन्होंने मार दिया मुझे, लड़की जानने पर।।
एक सवाल बार-बार मेरे मन में आता।
जो मुझको हमेशा ही बहुत सताता।।
लड़की को जीने का हक, क्यों नहीं मिल पाता पाता।
वह कोख में ही क्यों ना हो पर,
उसे वहा भी सकूं नहीं मिल पाता।।
क्या लड़की होने एक श्राप है।
क्या लड़की होना एक पाप है।।
लगता तो यही है मुझे।
पर किसने समझा यह मुझे।।
वह सब तो मेरे अपने ही थे,
फिर क्यों मार डाला मुझे।।।
इस बात को अब कभी भी,
मैं ना जान पाऊंगी।
हां मैं एक भ्रूण ही हूं,
और जन्म से पहले ही मर जाऊंगी।।
विक्रांत राजलीवाल
YouTube पर सुने।
💦 क्या इस समाज में लड़की होना एक पाप है - VR Ke Films ( Vikrant Rajliwal) Ehsaas Poetry 1
रचनाकार/ कवि: विक्रांत राजलीवाल
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